Thursday, October 11, 2012


1] फेसबुक मैत्री सम्मेलन का आयोजन


भरतपुर। यहॉं 29-30 सितम्बर,2012 को हम सब साथ साथ पत्रिका, नई दिल्ली एवं अपना घर, भरतपुर के संयुक्त तत्वावधान में फेसबुक से जुड़ी साहित्यिक, सांस्कृतिक व सामाजिक प्रतिभाओं को एक मंच पर इकट्ठा करने व उन्हें एक-दूसरे से रूबरू कराने के उद्वेश्य से भरतपुर (राजस्थान) में फेसबुक मैत्री सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया।  सम्मेलन के दौरान परिचय सत्र, विचार-विमर्श गोष्ठी, श्री किशोर श्रीवास्तव कृत जन चेतना कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी ‘‘खरी-खरी‘‘ के आयोजन सहित गीत-संगीत की चौपाल व कवि सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। 

सम्मेलन के दौरान प्रतिभागियों के लिये फतेहपुर सीकरी के भ्रमण का कार्यक्रम भी रखा गया। जिसमें प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। 

सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में शामिल प्रमुख व्यक्तित्वों में सर्वश्री पं. सुरेश नीरव, सुभाष चंदर, अरविन्द पथिक (गाजियाबाद), रघुनाथ मिश्र (कोटा), ए. कीर्तिवर्द्धन (मुजफ्फर नगर), अशोक खत्री (भरतपुर), यशवन्त दीक्षित (नागदा), मानव मेहता (टोहाना), ओम प्रकाश यती, ऋचा मि़श्रा (नौएडा), नवीन शुक्ला (झांसी), संदीप सृजन (उज्जैन), अतुल जैन सुराणा (आस्था), अजय अज्ञात (फरीदाबाद) सहित दिल्ली से डा. रेखा व्यास, साज़ देहलवी,  डा. सुधाकर आशावादी, सुषमा भंडारी, शशि श्रीवास्तव, पूनम माटिया, संगीता शर्मा, पूनम तुषामड, किशोर श्रीवास्तव, डा. मधुर, हेमलता एवं अनेक स्थानीय प्रतिभाओं ने भाग लिया और अपनी विभिन्न कलाओं से समारोह को विशेष गरिमा प्रदान की। 

सम्मेलन के दौरान जहां श्रीमती सुषमा भंडारी की काव्य कृति ‘अक्सर ऐसा भी’ का गणमान्य अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया वहीं सर्वश्री सुरेश नीरव एवं पूनम माटिया को श्रीमती सरस्वती सिंह स्मृति मैत्री-भाईचारा अवार्ड व अन्य प्रतिभाओं को प्रतिभागिता सम्मान से सम्मानित भी किया गया। 

सम्मेलन के विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता सर्वश्री पं. सुरेश नीरव एवं सुभाष चंदर ने की वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रघुनाथ मिश्र उपस्थित थे। संचालन क्रमशः सर्वश्री अरविन्द पथिक व किशोर श्रीवास्तव ने किया। अंत में आभार अपना घर के संचालक द्वय  डॉ. भारद्वाज एवं श्रीमती माधुरी ने व्यक्त किया।
हम सब साथ साथ पत्रिका की संपादक 


Monday, May 21, 2012

राजभाषा सम्मेलन के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन




पुरी। यहाँ 15 से 18 मई,2012 को 22वें हिन्दी सम्मेलन एवं कार्यशाला का भव्य व प्रेरक आयोजन राजभाषा एवं प्रबंधन विकास संस्था, दिल्ली द्वारा तोशाली रिसोर्ट में किया गया। सम्मेलन व कार्यशाला में देश के विभिन्न सरकारी कार्यालयों आदि के 60 से भी अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सम्मेलन व कार्यशाला का शुभारम्भ दिनांक 15 मई को अपराह्न दीप प्रज्जवलन व दूर-दूर से आये प्रतिनिधियों के स्वागत व परिचय के साथ हुआ। तीन दिनों तक चले कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों में देश के जाने-माने विद्वानों ने देश भर से पधारे सरकारी अधिकारियों को संबोधित किया। इसमें सर्वश्री केवल कृष्ण ने सूचना प्रौद्योगिकी, प्रेम सिंह ने हिन्दी नीति, सुभाष चंदर ने टिप्पण-आलेखन पर अपना सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। इनके अलावा फिल्म्स डिवीजन के संयुक्त निदेशक श्री राजेन्द्र रावत ने फिल्मस डिवीजन के उल्लेखनीय कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया। विभिन्न सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः श्री राजीव दुबे (उप प्रबंधक- ओएनजीसी) व डॉ सेनानी आदि ने की। उपरोक्त सत्रों का संचालन संस्था के पदाधिकारी श्री बी. एल. शर्मा ने अत्यन्त प्रभावी ढंग से किया।

सम्मेलन के अंतिम सत्र में साहित्यक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, भोपाल के वैज्ञानिक श्री सुनील कुमार मीणा, नेशनल बुक ट्रस्ट की संपादक श्रीमती उमा बंसल, फिल्मस् डिवीजन, मंुबई के श्री राजेन्द्र रावत व दिल्ली के श्री किशोर श्रीवास्तव आदि ने अपनी सुमधुर रचनायें प्रस्तुत कीं। इस सत्र का संचालन प्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री सुभाष चंदर ने किया।

सम्मेलन के दौरान श्री किशोर श्रीवास्तव की राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रचारार्थ तैयार की गई कार्टून व लघु रचनाओं की पोस्टर प्रदर्शनी ‘खरी-खरी’ का आयोजन भी किया गया। साथ ही संस्था द्वारा सभी प्रतिभागियों के लिये कोणार्क और जगन्नाथ पुरी धाम का शैक्षिक भ्रमण भी कराया गया जो कि काफी प्रेरक व ज्ञानवर्द्धक रहा।

अंत में संस्था प्रमुख श्री निशांत शर्मा ने सभी का आभार प्रकट किया।

प्रदर्शनी व सम्मेलन कक्ष

"खरी-खरी" जन चेतना पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन करते अधिकारीगण

                          अपना व्याख्यान देते सुभाष चंदर

सम्मान लेते किशोर 

कोणार्क मंदिर का शैक्षिक भ्रमण

कानपुर के मित्र व अधिकारी श्री राजेश श्रीवास्तव के परिवार के साथ किशोर व श्री रावत

मंदिर पर उकरी मूर्तियां

"खरी-खरी" जन चेतना पोस्टर प्रदर्शनी का अवलोकन करते अधिकारीगण
- हम सब साथ साथ डेस्क, नई दिल्ली

Tuesday, February 21, 2012

महाराष्ट्र के नांदेड़ में संपन्न हुआ अ. भा. लेखक सम्मेलन
नांदेड, महाराष्ट्र। दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी एवं अहिन्दी भाषी हिन्दी लेखक संघ के संयुक्त तत्त्वावधान में महान साहित्यकार, चिंतक, समाज सुधारक गुरु गोविंद सिंह महाराज की कर्मभूमि नांदेड में आयोजित त्रिदिवसीय अखिल भारतीय लेखक सम्मेलन में देशभर से पधारे विद्वानों ने हिन्दी को एकता के सूत्र में बांधने वाली शक्ति बताते हुए इसके अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया गया। स्वामी रामानंद तीर्थ विश्वविद्यालय के सायन्स कॉलेज के भव्य सभागार में विभिन्न सत्रों में चर्चा, कवि सम्मेलन, किशोर कृत ‘‘खरी-खरी’’ कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी, तथा सम्मान समारोह के दौरान बहुत बड़ी संख्या में स्थानीय लेखक, पत्रकार, अध्यापक, शोध छात्र तथा हिन्दीप्रेमी लगातार उपस्थित रहे।
प्रथम दिवस के उद्घाटन सत्र में गुरुद्वारा हजूर साहिब सचखंड के मुख्यग्रन्थी प्रतापसिंह की उपस्थिति में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य एवं पूर्व सांसद लेखक स. हरविंदर सिंह हंसपाल, कालेज अध्यक्ष डा. व्यंकटेश काब्दे, हिन्दी अकादमी के उपसचिव डा. हरिसुमन बिष्ट, प्राचार्य डा. जी.एम.कलमसे तथा संस्था के अध्यक्ष डॉ. हरमहेन्दर सिंह बेदी ने दीप प्रज्वलित कर सम्मेलन का शुभारम्भ किया। स्थानीय संयोजिका सायन्स कालेज हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. अरुणा राजेन्द्र शुक्ल ने गुरु गोविंद सिंह के साथ निजाम के अत्याचारी शासन के विरूद्ध संघर्ष करने वाले, क्षेत्र के मुक्तिदाता के रूप में स्थापित स्वामी रामानंद तीर्थ को अपने श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। हजूर साहिब सचखंड के मुख्यग्रन्थी ने गुरुजी की अंतिम कर्मभूमि नांदेड़ के विषय में अनेक ऐतिहासिक तथ्यों की जानकारी दी वहीं स. हंसपाल एवं अन्य सभी वक्ताओं ने हिन्दी और गुरुगोविंद सिंह के साहित्य दर्शन को राष्ट्रीय एकता का पर्याय बताया। संयोजक सुरजीत सिंह जोबन ने देश के विभिन्न भागों से पधारे साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
चायकाल के बाद जानेमाने कवि महेन्द्र शर्मा द्वारा संचालित कवि सम्मेलन का आगाज देवबंद के डा. महेन्द्रपाल काम्बोज के ओजस्वी स्वर में गुरुजी की यशोगान से हुआ। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में सर्वश्री हर्षकुमार, नरेन्द्रसिंह होशियार पुरी, मनोहर देहलवी, किशोर श्रीवास्तव, विनोद बब्बर, डा. रामनिवास मानव, डा.कीर्तिवर्द्धन, अतुल त्रिपाठी, ओमप्रकाश हयारण दर्द, डा.अहिल्या मिश्र, डा. अरुणा शुक्ल, संतोष टेलवीकर, ज्योति मुंगल, संगमलाल भंवर, डा. हरिसुमन बिष्ट आदि ने राष्ट्रीय एकता के विभिन्न रंग बिखेरे।
द्वितीय दिवस के प्रथम सत्र में हजूर साहिब के मुख्य कथाकार ज्ञानी अमरसिंह की उपस्थिति में ‘गुरु गोविंदसिंह और उनका साहित्य साहित्य’ विषय पर परिचर्चा के दौरान अमृतसर के नानकदेव विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष रहे डॉ. हरमहेन्दर सिंह बेदी ने गुरुजी रचित ‘विचित्र नाटक’ को प्रथम आत्मकथा बताया। डा. बेदी के अनुसार गुरुजी ने अपने जन्म स्थान पटना से आनंदपुर और फिर दक्षिण भारत तक के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपना कर्मक्षेत्र बनाया। उन्होंने भारत की सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के लिए तलवार उठाई वहीं साहित्यिक समृद्धि के लिए कलम का सहारा भी लिया। अपने अल्प जीवन में ही महान कार्य करने वाले गुरुजी जुझारू योद्धा ही नहीं अनेक भाषाओं के विद्वान भी थे। अन्य वक्ताओं में अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी शिक्षण केन्द्र शिमला की अध्यक्षा प्रो.जोगेश कौर, इन्दौर के डॉ. प्रताप सिंह सोढ़ी, हैदराबाद की अहिल्या मिश्र, नांदेड़ की एम.ए. की छात्रा श्रीमती पूनम शुक्ल तथा डा. परमेन्दर कौर भी शामिल थे। इसी सत्र में स. सुरजीत सिंह जोबन के अभिनंदन ग्रन्थ ‘खुश्बु बन कर जिऊंगा’ की प्रथम प्रति संपादक डा. रामनिवास मानव ने मंच पर विराजमान अतिथियों को भेंट कर लोकार्पण करने का आग्रह किया। तत्पश्चात डा. अरुणा राजेन्द्र शुक्ल के शोधग्रन्थ ‘नरेश मेहता के उपन्यासों में व्यक्त अवदान’ का लोकार्पण किया गया। इस सत्र का संचालन राष्ट्र-किंकर के संपादक श्री विनोद बब्बर ने किया।

भोजनोपरान्त द्वितीय सत्र में ‘अहिन्दीभाषी प्रदेशों का हिन्दी लेखन’ विषय पर परिचर्चा में मुख्य वक्ता विनोद बब्बर ने हिन्दुस्तान की आजादी के 65 वर्ष बाद भी यहाँ अहिन्दीभाषी शब्द के प्रयोग को अपमानजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसके लिए सरकारों की ढुलमुल नीति को जिम्मेवार ठहराया। उन्होंने मातृभाषा और राष्ट्रभाषा को दोनों आंखें बताते हुए इनमें संतुलन की आवश्यकता बताई लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि इन दोनों आँखों पर पट्टी बांधने तथा तीसरी आँख (अंग्रेजी) को प्रभावी बनाने केे प्रयास हो रहे हैं जबकि तीसरा नेत्र विनाश का सूचक है। इस सत्र में डा.हरि सिंह पाल, डा.शहाबुद्दीन शेख, डा.रेखा मोरे, डा.ज्योति टेलवेकर ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। चायपान के बाद के सत्र में कवि सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से आये कवियों ने अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से वातावरण को हिन्दी कवितामय बनाया।
तीसरे दिन के प्रथम सत्र में क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक श्री ओमप्रकाश पोकार्णा ने नांदेड की पवित्र भूमि पर सभी का स्वागत करते हुए सम्मेलन को राष्ट्रीय एकता का महाकुम्भ घोषित किया। विधायक महोदय ने हिन्दी के प्रति समर्पण के लिए स. सुरजीत सिंह जोबन तथा विनोद बब्बर को सम्मानित करते हुए उनके साहित्यिक अवदान की प्रशंसा की। इसी सत्र में ‘अंतर्राज्यीय भाषायी संवाद’ विषय पर हिन्दी अकादमी के उपसचिव डा. हरिसुमन बिष्ट ने मुख्य वक्ता के रूप में आदिकाल से आधुनिक काल तक के इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम व बाद में राष्ट्रभाषा बनने तक हिन्दी की राष्ट्रीय पहचान को रेखांकित करते हुए आज के वैश्वीकरण के दौर में हिन्दी को सम्पूर्ण राष्ट्र की आवश्यकता बताया। डा. बिष्ट के अनुसार राष्ट्रभाषा, सम्पर्क भाषा, आम बोलचाल की भाषा हिन्दी ही है इसीलिए यह हम सभी को एकसूत्रता में पिरोती है। डा. रामनिवास मानव की अध्यक्षता एवं डा. अरूणा के संचालन में डॉ. बेदी, आकाशवाणी दिल्ली के पुर्व राजभाषा निदेशक डा.कृष्ण नारायण पाण्डेय, डा. मान, डा. रमा येवले प्रमुख वक्ता थे।
अंतिम सत्र में स. हंसपाल, डा. बेदी नांदेड़ एजुकेशन सो. के उपाध्यक्ष श्र सदाशिवराव पाटिल, प्राचार्य डा. कलमसे ने विद्वानों को ‘भाषा रत्न’ सम्मान प्रदान कर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की।
नांदेड़ से दिल्ली लौटते हुए सचखंड एक्सप्रेस के वातानुकुलित डिब्बे में कविगोष्ठी तथा डा. हरिसुमन विष्ट के उपन्यास अछनी-बछनी के कुछ अंशों का वाचन तथा समीक्षा संवाद आयोजित किये गये। इस नवप्रयोग की संकल्पना डा. रामनिवास मानव ने प्रस्तुत की जिसमें 25 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। सम्मेलन के दौरान विभिन्न प्रतिभागियों सहित किशोर श्रीवास्तव को भाषा रत्न सम्मा से सम्मनित किया गया।









Friday, November 4, 2011

राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु अनेक कार्यक्रमों का आयोजन








नई दिल्ली। पिछले दिनों पूसा, नई दिल्ली स्थित विस्तार निदेशालय के सभागार में राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु राजभाषा हिंदी सगोष्ठी एवं काव्य संगोष्ठी सहित विभिन्न अन्य कार्यक्रमों व हिन्दी की प्रतियोगिताओं का रोचक व प्रेरक आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिंदी में बेहतर कार्य करने वाले कर्मियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से पुरस्कृत भी किया गया। समारोह के अंतिम दिन पुरस्कार वितरण के अवसर पर विभाग के अपर आयुक्त श्री वाई. आर. मीना की अध्यक्षता व प्रख्यात शायर जनाब मुज़फ्फर अली रज़मी के विशिष्ट आतिथ्य में एक सरस काव्य संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया। काव्य संगोष्ठी का अत्यन्त सफल संचालन किया शिष्ट-विशिष्ट प्रसिद्ध हिंदी कवि पंडित सुरेश नीरव ने। इस अवसर पर सर्वश्री जय सिंह आर्य जय, विजय भाटिया काका, रामेश्वर कांबोज देवबंदी, शोभा रस्तोगी शोभा, वेद प्रकाश वेद, शैलेन्द्र शुक्ला ने राजभाषा हिंदी व विभिन्न सामाजिक व सद्भाव के वियों पर अपनी बेहतरीन कविताएं सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। आभार सहायक निदेशक श्री किशोर श्रीवास्तव ने माना। इस अवसर पर निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारी सर्वश्री मुजाहिद काज़मी (निदेशक) सहित अनेक अन्य अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित रहे। इस काव्य संगोष्ठी की विशेषता यह रही कि पूरे आयोजन में कहीं कोई चुटकुला नहीं सुनाया गया, न कोई फूहड़ बातें की गईं।

रपटः अभिनन्दन कुमार र्स्वणकार (अनुवादक)