Wednesday, August 25, 2010

लघुकथाः फर्क


वह दोनों युवक लेडीज सीट पर जमे बैठे थे। अचानक एक बस स्टॉप पर एक औरत गोद में बच्चा लिए गिरती-पड़ती उन दोनों युवकों के पास आकर खड़ी हो गई। युवकों ने उसे देखा पर नज़रें झुकाए बैठे रहे।
महिला ने उनसे निवेदन किया, ‘भैया, गोद में बच्चा है, खड़ा नहीं हुआ जा रहा है, ज़रा लेडीज सीट खाली कर दो।’
परन्तु उन दोनों युवकों पर उस महिला के निवेदन का कोई असर नहीं हुआ और वे उसकी तकलीफ से बेखबर उसी तरह से चुपचाप बैठे रहे। अचानक भीड़ में से एक बुजु़र्ग व्यक्ति की आवाज़ आई, ‘बिटिया, यहॉं आकर मेरी सीट पर बैठ जाओ।’ और फिर वह महिला उसी ओर चली गई। बुज़ुर्ग व्यक्ति ने उस महिला के लिए अपनी सीट खाली कर दी थी। जब बस अंतिम स्टाप पर रुकी तो अनायास ही उन युवकों की नज़र उस बुज़ुर्ग व्यक्ति पर पड़ी, जो बस से नीचे उतरने के लिए अपनी बैसाखी संभाल रहा था।